शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

पांवों के छालों ने दिए मुस्कान !

अंधेरे में टिमटिमाता एक दिया... आंधियों के बीच खड़ा एक दरख्त... सूरज को ढंकने वाला काला मेघ... रेगिस्तान में उगने वाला बबूल... पहाड़ों का सीना चीरकर बहने वाली धारा... दरिया को थामने वाला बांध... समंदर के सीने में मचलता जहाज... चांद छूने वाला हाथ... हवाओं से लड़ने वाली नाव... और अंटार्कटिक फ़तह करने वाला पांव... कलम के साथ कलमकारों के लिए से संघर्ष से भरा सफ़र तय करता वो शख्स... जिसकी देह पर रखी जा रही है तरक्की की बुनियाद... जी हां, वो शख्स है शशिकांत कोन्हेर...। जो पिछले दो दशकों से अपनी कलम की स्याही से संघर्ष का नया शंखनाद कर रहा है। एक ऐसी अज़ीम शख्सियत, जिसने समय के सीने पर लिखा है कामयाबी का एक नया हलफनामा। धुन का पक्का, इरादे का मज़बूत, कलम का वो जांबाज सिपाही... जिन्हें लगातार दो बार अध्यक्ष चुनकर बिलासपुर प्रेस क्लब के सारे सदस्य गौरवान्वित हैं। कलम के साथ कलमकारों के लिए उन्होंने इन चार सालों में जो कुछ किया है, वे चंद अल्फ़ाजों में नहीं समेटे जा सकते। अपनी नौकरी, अपना घर, अपना परिवार... और अपना पेट सब कुछ भूलकर... गरीब कलमकारों के सिर पर छांव के लिए उन्होंने कैसे जुनून की सारी हदें पार की हैं... कितने सफ़र किए हैं... किन घरों में... कैसे और कब-कब दस्तक दी है, मैंने... और हम सबने देखा है। जिद और जज्बे में उन्होंने आठ महीने तक अन्न का कौर तक नहीं उठाया... आज हमारे होठों पर मुस्कान के मोती बिखेरने वाले उस शख्स के पांवों में कितने छाले हैं... करीब से जानने वाले सब कुछ जानते हैं। शशि भैया, आपने जो दिया है... उस कर्ज को चुकाना नहीं चाहते हम। हम जीना चाहते हैं... आपके ऋणी बनकर... एक पूरी ज़िंदगी... आपके साथ…!

मैं अक्सर ये सोचता हूं कि आज आप जिस मुकाम पर हैं, वहां सिर्फ इस शेर के बारे में सोचा जा सकता है-

‘ये किस मुकाम पर पहुंचा दिया जुनूं ने उसे,

जहां से आसमां भी नीचा दिखाई देता है।’

-अनिल तिवारी

वो तूफ़ानों में चलने का आदी !

चार साल पहले, जब शशि भैया बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष बने, तब क्लब की गतिविधियां चंद प्रेस कान्फ्रेंस तक ही सीमित थीं, लेकिन आज सारा परिदृश्य बदल चुका है। ऊर्जावान अध्यक्ष के साथ सदस्यों की सक्रिय भागीदारी ने पत्रकारों के संघर्ष को ऐसा संबल दिया है, जिससे समाज के दूसरे तबकों में भी ये संदेश गया है कि पत्रकार भी अपने हितों की आवाज बुलंद करने में सक्षम हैं। पत्रकार साथियों के लिए आवासीय भूखंड उपलब्ध कराने से लेकर पत्रकार कल्याण कोष की स्थापना, पत्रकारों का बीमा, वरिष्ठों का सम्मान, प्रतिभावान बच्चों का सम्मान, फोटो प्रदर्शनी, खेल प्रतियोगिताएं, गोष्ठी और पारिवारिक आयोजनों ने प्रेस क्लब की गरिमा बढ़ाई है। इतिहास गढ़ने का जो सिलसिला शशि भैया के नेतृत्व में प्रेस क्लब ने शुरू किया है, उसकी अनंत यात्रा अब कभी थमने वाली नहीं है। मूलत: निर्भीक पत्रकार होने के साथ वे संवेदनशील, दृढ़ निश्चयी, उसूलों के पक्के और एक अच्छे इंसान भी हैं। पत्रकार साथियों के लिए घर की तलाश में भटकते हमारे इस नायक ने अपने घर और भूख तक भुला दिए। संघर्ष के रास्तों ने उन्हें और भी जीवट बना दिया है। हर चुनौती के खिलाफ वो बिना किसी के साथ और सहारे का इंतज़ार किए अकेले ही खड़े हो जाते हैं। लड़कर अपना हक हासिल करना ही उनकी फितरत है। संघर्ष के इस सफर में उन्हें हर चुनौती क़बूल है, जो किसी शायर की तरह यही कहता है-

मैं बसा सकूं नया स्वर्ग धरती पर,

कि तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।

मैं तूफानों में चलने का आदी हूं,

तुम मेरी मंजिल मत आसान करो।

-सुशील पाठक

उसकी नहीं कोई मंजिल!

अपने घर को चिराग की रोशनी से रोशन करने वालों की दास्तां बयां नहीं की जाती, बल्कि अपने चिराग से दूसरे के घरों का अंधेरा दूर करने वालों की कहानियां सुनाई जाती है। बरसों बीत जाएंगे... तो ऐसी ही कहानियां शशिकांत कोन्हेर के बारे में सुनाई जाएगी। अपने छालों के दर्द से ज्यादा खुशी उन्हें दूसरों की तकलीफ दूर करने पर महसूस होती है। आगे चलना उनकी आदत है. और हम उम्मीद करते हैं कि ये आदत हमेशा बरकरार रहेगी। शशि भैया, वो शख्स हैं, जो अपनी आंखों से दूसरों के ख्वाब़ देखते हैं और उन्हें सच करने की जिद भी पाल लेते हैं। वे एक ऐसे मुसाफ़िर हैं, जिनके नाम सफ़र दर सफ़र सफलता की दास्तां दर्ज होती जा रही है। ये सफ़र ही उनका स्वभाव है, जो उन्हें दूसरों से अलग करता है। हम सबके लिए वो चले जा रहे हैं... सफर दर सफर... पार करते जा रहे हैं मंजिल दर मंजिल... क्योंकि हम सबके हित में उनकी कोई एक मंजिल नहीं है...

मुसाफिर हैं लेकिन नहीं कोई मंजिल,

जहां दिन ढलेगा, वहीं रात होगी।

-यशवंत गोहिल, डिप्टी न्यूज़ एडिटर, हरिभूमि, बिलासपुर

सफ़र... आगाज़ से अब तक !

थके हारे बीसवीं सदी का आखिरी दशक, ये वही साल था, जब बिलासपुर प्रेस क्लब का जन्म हुआ। बात 1986 की है, तब छ्त्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था... और बिलासपुर प्रेस क्लब के पहले अध्यक्ष बने डी.पी.चौबे। पत्रकारों को संगठित करने के साथ उन्हें बौद्धिक विकास का वातावरण देने के लिए प्रेस क्लब में परिचर्चा, विचार गोष्ठी और कार्यशालाओं के आयोजन भी होने लगे। दो बार निर्विरोध अध्यक्ष बनने वाले डी.पी.चौबे के प्रयास से ही राघवेंद्रराव सभा भवन के पास प्रेस कांफ्रेंस हाल के लिए भवन मिला। साथ ही 8 अगस्त, 1990 को ईदगाह रोड स्थित प्रेस क्लब भवन बनकर तैयार हुआ। यहां प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के अंतर्गत मशहूर हस्तियों से पत्रकार रूबरू होते थे। धीरे-धीरे ये परंपरा... और प्रेस क्लब के सारे कार्यक्रम बंद होते गए। शशिकांत कोन्हेर के अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर ये परंपरा दोगुने उत्साह के साथ शुरू हो गई है। उनके कार्यकाल में ही सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह, बाल धावक बुधिया, नवीन जिंदल, प्रभाष जोशी, अरूण शौरी, जसपिंदर नरूला, चीफ जस्टिस एस.आर. नायक, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अलावा विधानसभा अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक, अजीत जोगी जैसी शख्सियत प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में शरीक हुए। यही नहीं, राज्य की कोई भी ऐसी राजनीतिक और सामाजिक हस्ती नहीं, जिसने प्रेस क्लब की शोभा नहीं बढ़ाई। प्रशासन का कोई ऐसा अफसर नहीं, जिसने बिलासपुर प्रेस क्लब के साथ, क्रिकेट, कैरम या फिर... बैंडमिंटन नहीं खेला। ऐसे आयोजनों से बिलासपुर प्रेस क्लब की ख्याति राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित हुई है।

-सुब्रत पाल

‘सरोकारों से जुड़कर करें विकास’


बिलासपुर प्रेस क्लब ने 24 अक्टूबर को दीवाली मिलन समारोह मनाया। समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मौके पर पत्रकारिता के साथ सामाजिक कार्यों में प्रेस क्लब की गतिविधियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना और रेलवे जोन की स्थापना के समय किए गए आंदोलनों को पत्रकारों ने अपनी लेखनी से धार दी थी और राज्य के विकास के सहभागी बने। कार्यक्रम अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों पर विश्वास का संकट है। ऐसे में चौथे स्तंभ की जिम्मेदारी बढ़ गई है। विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल, खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले, विधायक बद्रीधर दीवान, विधायक राजू क्षत्रिय ने भी मीडिया को कलम की धार बरकरार रखने के लिए जागरूक रहने को कहा। विशिष्ट अतिथि हरिभूमि, रायपुर के प्रबंध संपादक हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि सार्थक पत्रकारिता वही है, जो समाज के सरोकारों से जुड़कर की जाती है। नवभारत, रायपुर के संपादक श्याम वेताल ने कहा कि पत्रकार अपने दायित्वों के साथ समाज की जिम्मेदारी भी निभाएं। दैनिक भास्कर, बिलासपुर के संपादक तरूण रावल ने इस बात की जरूरत पर जोर दिया कि पत्रकार और प्रेस क्लब समाज को रचनात्मक कार्यों की ओर प्रेरित करें। कार्यक्रम के प्रारंभ में बिलासपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष शशिकांत कोन्हेर ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब के सचिव सुशील पाठक ने किया और आभार प्रदर्शन उपाध्यक्ष तिलकराज सलूजा ने किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष पं. श्यामलाल चतुर्वेदी, नथमल शर्मा, आलोक प्रकाश पुतुल, रूद्र अवस्थी, बसंत गुप्ता, डॉ. सुनील गुप्ता समेत बड़ी संख्या में पत्रकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।