शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

सफ़र... आगाज़ से अब तक !

थके हारे बीसवीं सदी का आखिरी दशक, ये वही साल था, जब बिलासपुर प्रेस क्लब का जन्म हुआ। बात 1986 की है, तब छ्त्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था... और बिलासपुर प्रेस क्लब के पहले अध्यक्ष बने डी.पी.चौबे। पत्रकारों को संगठित करने के साथ उन्हें बौद्धिक विकास का वातावरण देने के लिए प्रेस क्लब में परिचर्चा, विचार गोष्ठी और कार्यशालाओं के आयोजन भी होने लगे। दो बार निर्विरोध अध्यक्ष बनने वाले डी.पी.चौबे के प्रयास से ही राघवेंद्रराव सभा भवन के पास प्रेस कांफ्रेंस हाल के लिए भवन मिला। साथ ही 8 अगस्त, 1990 को ईदगाह रोड स्थित प्रेस क्लब भवन बनकर तैयार हुआ। यहां प्रेस से मिलिए कार्यक्रम के अंतर्गत मशहूर हस्तियों से पत्रकार रूबरू होते थे। धीरे-धीरे ये परंपरा... और प्रेस क्लब के सारे कार्यक्रम बंद होते गए। शशिकांत कोन्हेर के अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर ये परंपरा दोगुने उत्साह के साथ शुरू हो गई है। उनके कार्यकाल में ही सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह, बाल धावक बुधिया, नवीन जिंदल, प्रभाष जोशी, अरूण शौरी, जसपिंदर नरूला, चीफ जस्टिस एस.आर. नायक, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अलावा विधानसभा अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक, अजीत जोगी जैसी शख्सियत प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में शरीक हुए। यही नहीं, राज्य की कोई भी ऐसी राजनीतिक और सामाजिक हस्ती नहीं, जिसने प्रेस क्लब की शोभा नहीं बढ़ाई। प्रशासन का कोई ऐसा अफसर नहीं, जिसने बिलासपुर प्रेस क्लब के साथ, क्रिकेट, कैरम या फिर... बैंडमिंटन नहीं खेला। ऐसे आयोजनों से बिलासपुर प्रेस क्लब की ख्याति राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित हुई है।

-सुब्रत पाल

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