मैं बसा सकूं नया स्वर्ग धरती पर,
कि तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।
मैं तूफानों में चलने का आदी हूं,
तुम मेरी मंजिल मत आसान करो।
-सुशील पाठक
मैं बसा सकूं नया स्वर्ग धरती पर,
कि तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।
मैं तूफानों में चलने का आदी हूं,
तुम मेरी मंजिल मत आसान करो।
-सुशील पाठक
सन् |
अध्यक्ष |
सचिव |
1985 |
डी.पी.
चौबे |
बेनी गुप्ता |
1986 |
डी.पी.
चौबे |
बेनी गुप्ता |
1990 |
ज्ञान
अवस्थी (कार्यकारी) |
|
1990 |
ज्ञान
अवस्थी |
हबीब खान |
1994 |
रामगोपाल श्रीवास्तव |
सईद
खान |
1996 |
ज्ञान
अवस्थी |
सईद खान |
1999 |
कैलाश
अवस्थी |
मनोज शर्मा |
2003 |
मनोज
शर्मा |
राजीव द्विवेदी |
2006 से |
शशिकांत कोन्हेर |
सुशील
पाठक |
आज जब सुशील पाठक हमारे बीच नहीं उनका ये लेखन मुझे उनकी याद दिला गया ..भगवान उनकी आत्मा को शांति दे ..! प्रेस क्लब की यादों में वे सदा हमारे साथ हैं.
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